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बढ़ रहें हैं शहर
दिल सिकुड़ रहें हैं
तरक्की की दौड़ में
ईमान फिसल रहें हैं
जीत की होड़ में
अपने अपनों से
बिछड़ रहें हैं
दिख
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बढ़ रहें हैं शहर
दिल सिकुड़ रहें हैं
तरक्की की दौड़ में
ईमान फिसल रहें हैं
जीत की होड़ में
अपने अपनों से
बिछड़ रहें हैं
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