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एक और दिन बीत गया
ख्वाबों के एतबार में
हकीकतों के बाज़ार में
हसरतों के इंतज़ार में
चलती रही गुफ्तगू
खामोशियों से मौन की
ज़ाया सब हर्फ हुए
अभिव्यक्त
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एक और दिन बीत गया
ख्वाबों के एतबार में
हकीकतों के बाज़ार में
हसरतों के इंतज़ार में
चलती रही गुफ्तगू
खामोशियों से मौन की
ज़ाया सब हर्फ हुए
अभिव्यक्त
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