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दिल की बातें दिल
से ही किया कीजिये
दिमाग़ को दिल में
ना लगाया कीजिए
थोड़ा कभी खुल
कर मुस्कुराया कीजिए
नाराज़गी को भी कभी
कदार भरमाया कीजिए
समझ आए हर बात
कोई ज़रूरी तो नहीं
रिश्तों में तकरार
कोई मज़बूरी तो नहीं
चलती नहीं ज़िंदगी
महज़ शिकवे शिकायतों से
जितना हो सके
खुल कर बताया कीजिए
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