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चूल्हे की सौंधी महक को
दिल अब तरसता है
मौसम भी अब बेवजह
कहां कब बरसता है
पेड़ों की छांव अब
कहां रास आती है
नजदीकियों में भी अब
रूहें कहां पास आती हैं
बारिश की बौछारें दिल को
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चूल्हे की सौंधी महक को
दिल अब तरसता है
मौसम भी अब बेवजह
कहां कब बरसता है
पेड़ों की छांव अब
कहां रास आती है
नजदीकियों में भी अब
रूहें कहां पास आती हैं
बारिश की बौछारें दिल को
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