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दिल का क्या
ये तो दगाबाज है
टूट जाए तो भी
करता न आवाज़ है
दिखने में छोटा
मगर जज़्बातों की खान है
व्यस्क सा माहिर
बच्चों सा नादान है
भागे है धक धक
अव्वल दर्जें का सौदेबाज है
धड़कनों की गहराईयों में
छिपा हर राज़ है
मखमल सा नरम
चाकू सा तेज़ है
एहसासों का सौदागर
ख्वाहिशों से लबरेज़ है
✍️✍️
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