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एक चुप्पी के हज़ार मतलब
शब्दों का यहां कोई मोल नहीं
एक सच के हज़ारों खिलाफ़
झूठ का यहां कोई तौल नहीं
भ्रम के पीछे भागते हज़ारों
हकीकतों का यहां कोई मोल नहीं
संभले हुए को पूछते हज़ारों
टूटे हुए का यहां कोई जोड़ नहीं
ढोंग के यहां किस्से हज़ारों
अपनेपन की कोई पूछ नहीं
औपचारिकता का यहां हर कोई दीवाना
सहजता की किसी को सूझ नहीं
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