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देकर तहज़ीब का हवाला
चुप कराते फिरते हैं
हां होते हैं ऐसे लोग भी जो
लगाकर ताले औरों के मुंह पर
ख़ुद कैंची जैसी ज़ुबान
चलाते फिरते हैं
पढ़ाकर पाठ हया और शर्म का
दूसरों पर हावी हुए फिरते हैं
हां होते हैं ऐसे लोग भी जो
परदे में रख औरों को
ख़ुद बेशर्मी का प्रचार किए फिरते हैं
लेकर हाथों में ग्रंथ सच्चाई के
धर्म और अधर्म के वक्ता बने फिरते हैं
हां होते हैं ऐसे लोग भी जो
देकर सीख औरों को बात बात में
ख़ुद झूठ का पुलिंदा बने फिरते हैं
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