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देकर तहज़ीब का हवाला
चुप कराते फिरते हैं
हां होते हैं ऐसे लोग भी जो
लगाकर ताले औरों के मुंह पर
ख़ुद कैंची जैसी ज़ुबान
चलाते फिरते हैं
पढ़ाकर पाठ हया और शर्म का
दूसरों पर हावी हुए फिरते हैं
हां होते हैं ऐसे लोग भी जो
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