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अदरक सी कड़क बैचेनियों में
शक्कर सी मीठी मुस्कान ढूंढते हैं
ढूंढ कर चाय की टपरी कहीं
चल सुकून के संवाद ढूंढते हैं
इलाइची की सौंधी महक में गुम
एहसासों के स्वाद ढूंढते हैं
बातें गड़ी हैं जो दिल की सतह पर
उन जज़्बातों का जवा
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