बढ़ते रहिए जनाब's image
Poetry1 min read

बढ़ते रहिए जनाब

Roopali TrehanRoopali Trehan July 9, 2022
Share0 Bookmarks 23 Reads1 Likes

परेशानियों का समुंदर

उलझने हज़ार

खत्म नहीं होंगी मुश्किलें

बढ़ते रहिए जनाब


ख्वाहिशों का काफ़िला

हकीकतें सिर पर सवार

ज़िम्मेदारियां हज़ारों

संभलते रहिए जनाब


चुनौतियाँ अनेकों

उम्मीदें बेहिसाब

हौसलों की डोर थामें

उड़ते रहिए जनाब

✍️✍️

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts