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बैठो जो कभी साथ
तो ख़ुद से मिलवाएंगें,
धड़कनों की रफ़्तार
तुमको सुनाएंगे
कट रहा है वक्त कैसे
लम्हों की दास्तान सुनाएंगे,
ज़िंदगी की कशमकश से
रूबरू तुमको करवाएंगे
तहरीरें आँखों की
लफ़्ज़ों में बताएंगे,
गुज़रे हुए पलों
से तुमको मिलवाएंगे
बैठो जो कभी साथ!!
✍️✍️
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