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दुनिया की इस भीड़
के बड़े अजब ही खेले हैं
दिखते तो हैं चारों तरफ़ मैले
मगर अंदर से सब अकेले हैं
खुदगर्जियों की राह पर
स्वार्थपरता के रैले हैं
रिश्तों न
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दुनिया की इस भीड़
के बड़े अजब ही खेले हैं
दिखते तो हैं चारों तरफ़ मैले
मगर अंदर से सब अकेले हैं
खुदगर्जियों की राह पर
स्वार्थपरता के रैले हैं
रिश्तों न
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