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आज में रहकर
कल की क्यों सोचना
धर कर हाथ पर हाथ
मुकद्दर को क्यों कोसना
औरों को देख
ख़ुद को क्यों आँकना
अपनों को कर परे
गैरों को क्या ताकना
दिखावों और स्वाँग से
सच को क्या ढाँकना
झूठ के पैमानों में
यथार्थ को क्या मापना
✍️✍️
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