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ऐसे भी क्या नखरे
हर कोई नज़रों में अखरे
ऐसे भी क्या भाव
जो भर न पाए घाव
ऐसे भी क्या एहसास
जो दिला न सके विश्वास
ऐसे भी क्या अल्फाज़
जो बदल न सके मिजाज़
ऐसे भी क्या मेल
जो दिल न सके झेल
ऐसे भी क्या लगाव
जिससे मज़बूत न हो जुड़ाव
ऐसी भी क्या ज़िंदगी
जो बन न पाए बंदगी !!
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