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हर वक़्त हम सपनों से दिल को बहलाते रहतें हैं
यह बता दे खुदा क्या इसे ही ज़िन्दगी कहते हैं
दुख आता है तो कहते हैं की तेरी क़िस्मत का लिखा
क्या किस्मत के नाम पर दिल को बहलाने को ज़िन्दगी कहते हैं
जिन बन्धनों को तोड़ कहीं दूर उड़ाना चाहता है आदमी
क्या उन बंधनों में बंध कर रहने को ज़िन्दगी कहते हैं
हर वक़्त हम सपनों से दिल को बहलाते रहतें हैं
यह बता दे खुदा क्या इसे ही ज़िन्दगी कहते हैं
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