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आज फिर बदरा छाया है
सावन का मौसम आ गया
लगता है मुझको फिर
तेरे आने का मौसम आ गया
रिम झिम बरखा की बूंदों में
हम तुम सड़कों पर घूमेंगे खुशिया जो हमसे छिनी हैं
उनको फिर से ढढ़ेगे होठो पे कहीं हंसी छुपी है
खुशियों का मौसम आ गया
लगता है मुझको फिर
तेरे आने का मौसम आ गया
एक दूसरे की बाहों में खो कर
हम सारी दुनिया भुला देंगे
कुछ सपने तुम दिखाना, कुछ में
इन सपनों में ही अपनी दुनिया बसा लेंगे
आंखों में फिर चमक छुपी हैं
सपनों का मौसम आ गया
लगता है मुझको फिर
तेरे आने का मौसम आ गया
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