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धूल खा रही इश्क़ की किताब के पन्नों को उठा कर देखा तो मालूम हुआ अभी जिंदा है मेरे हृदय में प्रेम का पौधा।
पौधा जो फिरसे पेड़ बन सकता है। मैंने खंगाले उस किताब के कई और पन्ने तो मालूम हुआ अभी और बाकी है म
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