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आखिर क्या पाना चाहता है इंसान
जिसे हासिल नहीं कर पा रहा है,
किस के लिए इंसान इंसान को
एक दूसरे से लड़वा रहा है ।
फ़र्ज़ से बंधे सैनिक अपनी जान पर
खेल कर देश की आन बचा रहें है ,
खुदगर्ज है वो हैवान जो बेवजह,
एक सैनिक को दूसरे से लड़वा रहे है ।
क्यों बनाते है हम सरहदें? और किस के लिए ?
क्यों खून की होली बेगुनाहों को खिला रहे है।
ख़ुदगर्ज़ी ही केवल उनका उद्देश्य है,
जो अपनी महत्वकांक्षां पूरी करने के लिए
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