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जो श्याम के रंग में रंग गया
रंग उस पर कोई चढ़ता नहीं
जादू है मोहन की मुरलिया में
रंग यूहीं किसी का चढ़ता नहीं
मुरली ने मन को मोह लिया
छवि अद्भुत तुम्हारी बनवारी है
पीताम्बर सारा अम्बर हुआ
फूलों से खिली हर क्यारी है
जिसने भी तेरा ध्यान किया
उसका तो जीवन धन्य हुआ
मन जिसने तुमको सौंप दिया
उसको मनमोहन ने मोक्ष दिया
कण कण में है माधव वास तेरा
अर्पण तुझको है हर श्वास मेरा
एक बार जो हो जाए दर्शन तेरा
मोह माया का मिट जाए अँधेरा
मुरली की धुन पर झूमे है धरा
तेरी कृपा ने जीवन रंगो से भरा
उठा कर गोवर्धन उपकार करा
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