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जब फुर्सत मिलती है
खुद से बात कर लेता हूँ
अंतर्मन में झाँक कर
मन का हाल जान लेता हूँ
बेचैनी, बेबसी और उदासी
की नब्ज पहचान लेता हूँ
विश्वास और उम्मीद के आसरे
आसमां छूने की ठान लेता हूँ
मन को समझाता हूँ
खुद को जीत लेता हूँ
कभी खुद से यूँ ही
हार मान लेता हूँ
कभी दायरे बनाता हूँ
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