![माँ [ Maa ]'s image](https://kavishalaa.s3.ap-south-1.amazonaws.com/post_pics/%40rmalhotra/None/mothers-day-48957_1280_08-05-2022_02-13-02-AM.png)
माँ ( राकेश की कलम से )
माँ …मुझ को बचपन की याद दिलाती
धुंधली छवि जैसे कोई उज्ज्वल हो जाती
सफ़ेद क़मीज़ से सब्ज़ी के दाग मिटाती
होम वर्क मुझ को रोज पूरा करवाती
मेरी कापी पर ख़ाकी कवर चढ़ाती
गणित में कम अंक देख कर चौंक जाती
लंचबॉक्स में ढेर सारा प्यार पैक कर देती
चुपके से कुछ पैसे भी साथ रोज रख देती
स्कूल बस ना जाए छूट हर सुबह ये फ़िक्र होती
मेरे साथ भागती जब थोड़ी सी देरी होती
कभी झुँझलाती तो कभी मुस्कुराती
माँ ….मुझ को बचपन की याद दिलाती
मुझको क्या चाहिए मेरे चेहरे से पढ़ लेती
मेरे बिना कुछ कहे ही सब कुछ जान लेती
मुझे सोता देख कर मन ही मन मुस्कुराती
मेरा सर सहलाते सहलाते खुद सो जाती
काश मैं फिर से बच्चा हो सकता
माँ की गोद में सर रख कर सो सकता
माँ की कही हर बात को मानता
उसकी आँखों से खरे खोटे को पहचानता
जिसने मुझको सब बतलाया
गर्व से दुनिया में जीना सिखलाया
अब मैं उसको राह दिखलाता हूँ
जो सब जानती है उसको सिखलाता हूँ
काश मैं फिर से बच्चा हो सकता
माँ कीं गोद में सर रख कर सो सकता
कभी कोई कहानी सुनकर भावुक होता
कभी किसी लोरी का सुर कानों में होता
ना कोई फ़िक्र ना भय किसी बात का होता
हर ज़िद, हर इच्छा, हर सपना पूरा होता ।
काश दौर फिर से नासमझी का होता
समझदारी का सर पर बोझ ना होता
जो चाहता वो बेझिझक मैं कर लेता
रिश्ते नातों में ऊंच नीच का भेद ना होता
मन गंगा के जैसा निश्छल पावन होता
जो दिल में होता वही ज़ुबान पर आता
काश मैं फिर से बच्चा हो सकता
माँ कीं गोद में सर रख कर सो सकता
भरी दोपहर में इधर से उधर दौड़ता
जब थक कर भूखे पेट घर को लौटता
पहले तो माँ की डाँट डपट से जी भरता
फिर मनचाहा खाना मुझको मिलता
सिलसिला रूठने मनाने का यूँही चलता
माँ से बेहतर मुझको नही कोई जानता
कोई दूसरा नहीं व्यथा मेरी पहचानता
वो ही मेरे मन की बात समझती है
मैं रोता हूँ तो रो पड़ती है
मैं हँसता हूँ तो हंस देती है
माँ ना जाने किस मिट्टी की बनी होती है
जब छोटा था उसका दुःख सुख पहचानता था
माँ के दिल में क्या है अच्छे से जानता था
अब उससे उसकी ज़रूरत पूछता हूँ
जैसे मैं कोई अनजान जो कुछ नहीं जानता
क्यों नहीं उसकी भावना को मैं पहचानता
वो फिर से गले लगाना चाहती है मुझको
ना कोई ज़रूरत, नहीं चाहिए कुछ भी उसको
वो केवल दो पल मेरे साथ बिताना चाहती है
एक निवाला अपने हाथों से खिलाना चाहतीं है
संसार में सबसे अच्छी माँ ही होती है
सिर्फ़ एक शब्द में पूरी दुनिया होती है
ना जाने किस मिट्टी से बनती है
हर स्त्री में एक अद्भुत माँ होती है
राकेश की क़लम से
@Rakesh Malhotra
@FiveValue
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