
मैं तुम शादीशुदा को भी अपनाने को तैयार हूं,
पर क्या तुम हो?
मैं तुमको एक संतान की मां के रूप में भी अपनाने को तैयार हूं,
पर क्या तुम हो?
मैं तुम्हे हर हालात में अपनाने को तैयार हूं,
पर क्या तुम हो?
चलो इसे आसान बना देता हूं,
हां, तुम तैयार हो, मुझे अपनाने को नहीं पर मेरे पद को।
लेकिन सवाल फिर वही है,
जब मैं बेरोजगार था,
क्या तुम तैयार थी?
जब तुम सेलेक्ट हो चुकी थी और मैं संघर्ष कर रहा था,
क्या तुम तैयार थी?
आखिर इतना भी क्या मांग लिया था मैंने तुमसे,
बस बिना शर्त का प्यार!
क्या वो ज्यादा था?
चलो फिर लौट आते हैं आज में,
हां तुम हो, पर आज मैं तुम्हें ठुकराता हूं और दुआ करता हूं कि तुम इक दिन मोहब्बत की भीख मांगो और तुम्हे भीख में हाई पोस्ट मिले!
कि तुम प्यार के लिए दर दर भटको पर तुम्हे अकेलापन और उदासी मिले!
रही बात मेरे खालीपन की,तो बता देता हूं तुम्हें,
कि मैंने इस अकेलेपन से लड़कर जीना सीख लिया है,
पर जहन में एक सवाल हमेशा रहेगा —
"क्या तुम हो?" नहीं बल्कि"तुम क्या हो?" क्यूंकि इस एक जन्म में तो मैं तुम्हे समझ ही नहीं पाया!
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments