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दोहे: राष्‍ट्र धर्म

rkdevendra4rkdevendra4 April 3, 2023
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राष्ट्रद्रोह के ज्वर से, दहक रहा है देश ।

सुख खोजे निज धर्म में, राष्ट्र धर्म में क्लेश ।।


अभिव्यक्ति के नाम पर, राष्ट्रद्रोह क्यों मान्य ।

सहिष्णुता छल सा लगे, मौन रहे गणमान्य ।।


तुला धर्मनिरपेक्ष का, भेद करे ना धर्म ।

अ, ब, स, द केवल वर्ण है, शब्द भाव का कर्म ।।


राजनीति के जाल में, राष्ट्रप्रेम क्यों कैद ।

एक राष्ट्रद्रोही दिखे, दूजा प्रेमी बैद ।।


करें खूब आलोचना, लोकतंत्र के संग ।

द्रोह देश से क्यों करे, राजनीति के रंग ।।


सेलिब्रिटी मान्यजन, रहे नहीं अब मौन ।

नष्ट मूल से कीजिये, हर आतंकी दौन ।।

(दौन-दमन)

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