
Share0 Bookmarks 17 Reads0 Likes
राष्ट्रद्रोह के ज्वर से, दहक रहा है देश ।
सुख खोजे निज धर्म में, राष्ट्र धर्म में क्लेश ।।
अभिव्यक्ति के नाम पर, राष्ट्रद्रोह क्यों मान्य ।
सहिष्णुता छल सा लगे, मौन रहे गणमान्य ।।
तुला धर्मनिरपेक्ष का, भेद करे ना धर्म ।
अ, ब, स, द केवल वर्ण है, शब्द भाव का कर्म ।।
राजनीति के जाल में, राष्ट्रप्रेम क्यों कैद ।
एक राष्ट्रद्रोही दिखे, दूजा प्रेमी बैद ।।
करें खूब आलोचना, लोकतंत्र के संग ।
द्रोह देश से क्यों करे, राजनीति के रंग ।।
सेलिब्रिटी मान्यजन, रहे नहीं अब मौन ।
नष्ट मूल से कीजिये, हर आतंकी दौन ।।
(दौन-दमन)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments