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इस दिल को खुद से शिकायत सी हो गई है
क्या कहूं अब
किसी के प्यार की आदत सी हो गई है
इस दिल को ख्वाबों से मोहब्बत सी हो गई है
क्या कहूं अब
नीदों से शिकायत सी हो गई है
इस दिल को सपनों में जीने की आदत सी हो गई है
क्या कहूं अब
हकीकत से घबराहट सी हो गई है
इस दिल को खुद से ही मोहब्बत सी हो गई है
क्या कहूं अब
जमाने से शिकायत सी हो गई है
कैसे समझाऊं किसी को लफ्जों से यहां
क्या कहूं अब
मौन की आदत सी हो गई है
- रितु राज
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