गुम अँधेरों से उभरती वीरांगना's image
2 min read

गुम अँधेरों से उभरती वीरांगना

Ritu SinghRitu Singh June 16, 2020
Share0 Bookmarks 175 Reads0 Likes



चंचल पवन सी वो सबके दिलों को छू जाती

अपनी बेबाकी से हर पल को रोशन कर देती,

कुछ तो कशिश थी उसकी आवाज में जो मोह लेती मन,

पर ना जाने क्यों वो फूलों सी महकती मनमोहिनी कहीं खो गई

जो मनमौजी होकर बिन कहे हर सफर तय कर लेती

पर आज क्यों वो चलकदमी उसकी डगमगा सी गई

यूँ तो उसके फन के कद्रदान बहुतेरे थे, पर आज वो क्यों खुद में सिमट गई

मुरझाई सी बेसुध वो खुद को कैद कर लेती,

दुनिया की चहलपहल से दूर उसकी तन्हाई की दुनिया सी बन गई

वक्त भी क्या अजीब था, जो सबके लिए हर पल साथ थी, आज वो सबके लिए पुरानी खबर हो गई

जो कभी प्यार के ताने बुना करती थी, आज वो सिहर सी जाती है प्यार के अलफ़ाजसे

इस अकेलेपन को वो दिन दिन जिए जा रही है

अब तो किसी के आने का इंतज़ारभी कहीं धुँधला सा गया

वो गिरती, फिर संभलती है और खुद को जोड लेती

 पर ये रोज रोज का सिलसिला भी उसे झकझोर सा देता

और उसका बिखरे कांच सा जुड़ामन फिर से टूट जाता

पर अब और नहीं वो बिलखेगी, बल्कि तेज तलवार सी वो लड़ेग,

क्यूंकि अब वो टूटी हुई कली नहीं जो बेजान है, वो तो है वीरांगना जो डटके हर जंग जीतेगी।


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts