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मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
घर देर तक न आने पर उसकी चिंता,
कभी फोन न उठाने पर उसकी घबराहट को महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
तबियत खराब हो जाने पर हर पैतरे अपनाती है,
कभी हाथों से, तो कभी लालमिर्च से नज़र उतारती है,
उसकी प्यार, उसकी फ़िक्र को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
मेरी हर गलती को छुपाती है, कभी मुझसे तो कभी दुनियां से,
उसकी हर मजबुरी, हर चुप्पी को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
उसकी हर डांट मुझे सिखाती है, फिर भी कभी उससे मैं लड़ जाती हूँ,
उसकी हर नाराज़गी से लेकर हर हँसी को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का हर लम्हा मैंने महसूस किया है।
हाँ, मोहब्बत का हर लम्हा मैंने महसूस किया है,
घर देर तक न आने पर उसकी चिंता,
कभी फोन न उठाने पर उसकी घबराहट को महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
तबियत खराब हो जाने पर हर पैतरे अपनाती है,
कभी हाथों से, तो कभी लालमिर्च से नज़र उतारती है,
उसकी प्यार, उसकी फ़िक्र को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
मेरी हर गलती को छुपाती है, कभी मुझसे तो कभी दुनियां से,
उसकी हर मजबुरी, हर चुप्पी को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का एक लम्हा मैंने महसूस किया है।
उसकी हर डांट मुझे सिखाती है, फिर भी कभी उससे मैं लड़ जाती हूँ,
उसकी हर नाराज़गी से लेकर हर हँसी को मैंने महसूस किया है,
हाँ, मोहब्बत का हर लम्हा मैंने महसूस किया है।
हाँ, मोहब्बत का हर लम्हा मैंने महसूस किया है,
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