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(ग़ज़ल) लौटकर के अगर आप आते नहीं

RiteshMGuptaRiteshMGupta June 16, 2020
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लौटकर के अगर आप आते नहीं

इस कदर हम कभी मुस्कुराते नहीं


शाइरी भी मुकम्मल न होती कभी

उस घड़ी आप ही गर रुलाते नहीं


हौसला टूटने का न होता अगर

रेत पे घर कभी हम बनाते नहीं


आप दिल मे

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