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लौटकर के अगर आप आते नहीं
इस कदर हम कभी मुस्कुराते नहीं
शाइरी भी मुकम्मल न होती कभी
उस घड़ी आप ही गर रुलाते नहीं
हौसला टूटने का न होता अगर
रेत पे घर कभी हम बनाते नहीं
आप दिल मे
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लौटकर के अगर आप आते नहीं
इस कदर हम कभी मुस्कुराते नहीं
शाइरी भी मुकम्मल न होती कभी
उस घड़ी आप ही गर रुलाते नहीं
हौसला टूटने का न होता अगर
रेत पे घर कभी हम बनाते नहीं
आप दिल मे
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