
बुद्ध एवं महावीर का जन्म स्थल हूं,
गंडक,सोन,गंगा का जल हूं,
दिनकर की कविताओं का कल हूं,
मौर्य और गोविंद सिंह की साहस का बल हूं,
मैं बिहार हूं और मैं अडीग,अटल हूं।
यही स्थित था नालंदा पुस्तकालय,
मां मुंडेश्वरी की सदियों प्राचीन देवालय,
आर्यभट्ट की बुद्धिमता का यह सार है,
यह कभी न झुकने वाला कर्मठ बिहार है।
है जो सम्राट अशोक की मातृभूमि,
जिसने दिया अहिंसा के पाठ की पृष्ठभूमि,
बक्सर के युद्ध का निर्णायक प्रहार है,
यह अटल एवं अडीग बिहार है।
आज जिस तरह किया जा रहा इसे धूमिल,
अपने भी जरूर रहे होंगे इसमें शामिल,
अल्फाजों से इसकी निंदा करते हैं,
हिंदुस्तान की शान को शर्मिंदा करते हैं।
इसकी अच्छाई को छुपा बुराई का चित्रांकन ना करो,
बहुत गहरी है इसकी इतिहास युं चंद वर्षों में मूल्यांकन ना करो,
जयप्रकाश की मिट्टी से देश का सत्ता डोलता है,
यह बिहार है और इन शब्दों में बिहारी बोलता है ।
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