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"आज़ादी क्या होती है ?"
बूढ़े बाबा से बच्चे ने पूछा,"बाबा ये आज़ादी क्या होती है ?"
गला भर जाता है उनका, आँखें थोड़ा नम होती हैं |
बोले...
" बेटा जो ये बूढ़े बरगद पे, अब आज़ाद तुम्हारा झूला लटका है,
जाने कितनों का लहू बहा था, जाने कितनों का इस पर शव अटका है |
तुम आज स्वतंत्र हवा में जी सकते हो, अपने ही कूएँ का पानी पीे सकते हो,
अपनी माटी का उपजा अन्न खा सकते हो, अपने बुने कपड़ों से तन सजा सकते हो |
इससे पहले ऐसा ना होता था, कुछ मानव सिर्फ कहने को मानव होता था,
उनका ज
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