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एक कच्चे मकान की देखो खिड़की खुली हुई हैं,
वो भी खड़ी हुई हैं और मैं भी खड़ा हुआ हूँ,
ना उसने मुँह से कुछ बोला है ना मैं ही कुछ बोल पाया हूँ,
रूहानियत का ये क
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