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टूटा दिल लाए हैं महफिल में तुम्हारी,
हो जो कोई तो रफ्फू कर दो,
उसकी यादों ने दिल में ढेरा जमा रखा है,
तुम आओ दिल में मेरे,और कुर्सी डालकर बैठो,
उसकी यादों का तितर उड़न-छू कर दो।
लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
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