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महंगाई पर लिखने को कलम उठाई,
तो सबसे पहले अपनी तनख्वाह याद आई,
चार सालों से उसमें एक रूपया भी ना पढ़ पाया है,
लेकिन खर्च में बेहिसाब इजाफा आया है,
देश के बजट पर मैं तभी चर्चा कर पाऊंगा,
जब अपने घर का बजट मैं भर पाऊंगा,
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