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त्राहिमाम

RishiitaaRishiitaa June 18, 2022
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नारीवाद, वंशवाद, 
जातिवाद, समाजवाद। 
ऐसे अनेकों वाद- विवादों के भँवर के बीच खड़ा -
मैंने अक्सर एक "स्त्री" को ही पाया है।
जाने में , अनजाने में -
हर शोषण पटकथा का पुरोगामी ,
एक अबला को ही पाया है!
हां -वही अबला जो,
सबल है तुम्हारे राजनैतिक तथ्यों में !
हां -वही जो कुचली जाती है ,
तुम्हारे हास्यप्रद सत्यों में!
काली है !गौरी है वह!
9 दिन वह पूजी जाती है !
फिर बाकी सारे दिन,
भयभीत निर्भया बन जाती है।
केशों से खींचो उसको -
पैरों से दबा डालो !
जब तक श्वास नहीं रुकती -
तुम तब तक हार नहीं मानो !
हो कदाचार , हो दुराचार,  
हर शोषण को विधान बना लो।
फिर न्याय के देवालय में,
अन्याय का दीप जला लो।
ना को हां बना करके ,
उत्पीड़न को सौभाग्य बता दो ।
कुंठा हुई&n

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