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मुस्कुराहट के पीछे का, हम राज़ यूँ छिपाते हैं
कहते है सब कुछ पर, वो बात नहीं बताते हैं
कहते हैं अपने हैं, दर्द, गैर कहाँ कुछ देते हैं
चलते-चलते मुस्कुरा कर, नये गैर बना लेते हैं
कहते है सब कुछ पर, वो बात नहीं बताते हैं
कहते हैं अपने हैं, दर्द, गैर कहाँ कुछ देते हैं
चलते-चलते मुस्कुरा कर, नये गैर बना लेते हैं
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