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टूटा तो है,
पर अभी अंजाम बाकी है
मेरे अरमानो को,
मुकम्मल आसमान बाकी है
दर्द जिरह कलेश,
न जाने कितने पैगाम बाकी है
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टूटा तो है,
पर अभी अंजाम बाकी है
मेरे अरमानो को,
मुकम्मल आसमान बाकी है
दर्द जिरह कलेश,
न जाने कितने पैगाम बाकी है
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