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मदहोश आलम, बहकती ख़्वाहिशें और तेरे साथ हम...
उफ़्फ़, जिंदगी ख़्वाबों से ज्यादा शायद कुछ भी नहीं...!!

भवंर में उलझे, ख़्वाहिशों का समंदर और दरमियाँ फ़ासले,
उफ़्फ़, जिंदगी ठहरे हुए सफ़र से ज्यादा कुछ भी नहीं...!!

सड़कों

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