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तुम कब इतना खुदगर्ज हो गए
पता ही न चला
हमारा तो रिश्ता था पवित्र दोस्ती का
तुम कब बदल गए पता ही न चला
तोड़ दी दोस्ती गलतफहमी के कारण
फिर क्यों अब दुःखी रहते हो
जो है साथ उसमें ही दोस्त भी ढूंढ़ लो
यूं मर मर के जीना सही न है यारा
कब तक सुनू कि तुम
मेरे कारण परेशान हो
यूं किसी के दुःख की वजह में बनना नहीं चाहती
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