
Share0 Bookmarks 10 Reads0 Likes
दूरीयाँ गिनी है मैंने हम दोनों के बीच,
इंतज़ार करता हूँ, समय की नज़ाकत देखता हूँ।
पलकों पर रख कर तेरे चेहरे को देखा है,
बंद आँखों से भी तुम्हें देखता हूँ।
अब तेरे करीब आने की इच्छा है मुझे,
अकेले बिस्तर पर भी तुम्हें देखता हूँ।
बातें होती हैं तुझसे आजकल ढेरों घंटे,
समय के साथ करीब आते तुम्हें देखता हूँ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments