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मैं तुम्हारे साथ साए की तरह आऊँगा।
जब वो किरणें परेशान करेंगी, तो झोंके आएँगे मेरे,
मैं नसीम की तरह आऊँगा।
मैं गोश में सुनाई दूंगा,
मैं सदा की तरह आऊँगा।
जब मुज़्महिल होंगी तुम,
मैं मुज़ाकरा-ए-ख़ुशी बन कर आऊँगा।
जब नाशाद भरा होगा तेरे मन में,
मैं तेरे लिए शाद बन कर आऊँगा।
मेरी वजह से परेशानियाँ आएँगी,
मैं सऊबतों की तरह आऊँगा।
तुम खुद से अलग करने का सुख़न करोगी मुझसे।
मैं इम्कान-ए-वापसी बन कर आऊँगा।
तुम जब दैजूर में तल्ख हो जाओगे,
मैं ताबानी बन कर आऊँगा।
ये ज़माना आतिश-ज़दगी करेगा हम दोनों के बीच,
मैं नीर बन कर आऊँगा।
मैं शफ़क़, सामे, तसव्वुर, तराना बन कर आऊँगा,
आज नहीं तो कल, मैं साए की तरह आऊँगा।
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