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कितना समय लगा मुझे तुम तक पहुंचने में?

तुम्हें समझने में भी कितने माह निकले हैं,

शायद दो माह लगे हैं।

लम्हें गुजारे हैं,

तेरे दिल में इस सोदाई की जगह बनाने के लिए।

और कुछ दिन का रिश्ता बसर हुआ है,

एक-दुसरे में उतरने के लिए।

यूँ मिला हूँ तुमसे, गोया आफ़ताब को उफ़ुक़ मिल गया हो,

उफ़ुक़ को ढूंढने में भी कुछ अरसे गुजारे हैं मेरे।

बातें यूँ ही चालू नहीं हो सकती,

वफ़ा-ओ-बावर किए है मैंने,

कितना समय लगा मुझे तुम तक पहुंचने में,

खैर मैंने तो बयाँ कर दिया।

जरा तुम भी तो बतलाओ,

कितना समय लगा

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