कवि का डर's image
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मैं कवि हूँ
हर रात सोने से 
हर सुबह उठने से डरता हूँ

गर उदास हुँ तो होने से
ना हूँ, तो ना होने से डरता हूँ

अँकुरित के संभावित मौत से
औ, निश्चित मौत की वेदना से डरता हूँ

गर देख पाता हुँ, तो दृष्टि से
ना देख पाऊँ, तो चेतना से डरता हूँ

गर ना समझा पाया तो शून्य से
पढ़ लिया गया, तो आलोच

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