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ओ कान्हा जरा बच के दिखाना
राधा ने तुम्हें रंगने को ठाना
१)
आज हैं चुनर रंगबिरंगी
मुख रम्या का हुआ सतरंगी
पित रंग से भरी पिचकारी 
आज बनी हैं वो अतरंगी
बच पाओ तो फिर स्वयं को बचाना
राधा ने तुम्हें......
२)
ले सखियों की एक टोली वो 
निकली हैं बन के भोली वो
यमुना तट गोपनीय की

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