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अमृत महोत्सव का जश्न !
पर, अनुत्तरित कई प्रश्न
बातें सब लगती बे-मतलब
हालात कुछ ऐसे हों जब ....
बढ़ती बेरोज़गारी
रसोई गैस हज़ारी
ईंधन जेब पर भारी
सड़कों पे युवा जवान
आत्महत्या करते किसान
महँगाई नित बे-क़ाबू
भ्रष्ट लुटेरे कारोबारी बाबू
लंबित मामलों की फ़ेहरिस्त
विदेशी कर्ज़ों की जाती किस्त
हड़ताल की धमकियाँ
सदन में टूटती कुर्सियाँ
नेताओं के झूठे आश्वासन
सभाओं में स्तरहीन भाषण
अत्यंत संवेदनहीन विपक्ष
पत्रकारिता नहीं निष्पक्ष
सबसे बड़े लोकतंत्र की,
प्रत्यक्ष हु
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