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सुबह सुबह जब
आती हो तुम
हाथों में लेकर चाय I
सोचता हूँ, काश !
होता मैं प्याली
और तुम चम्मच
शक्कर वाली,
तो रोज़ रोज़ ही तुम
मुझ में डूब डूब कर,
लगाती दो चार चक्कर I
नाज़ करते हम अक्सर
अपनी इस प्रीत पर
क्यूँकि तुमसे मिलन,
होता ही इतना खास I
जो तुम मेरे आग़ोश में,
आ के यूँ न मचलती !
तो किसी भी चाय में,
आती कैसे मिठास ?
- अभिषेक
#InternationalTeaDay
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