
राजनीति का स्तर इस कदर गिर चुका है कि परस्पर विरोध में नेताओं द्वारा ऐसी ऐसी बातों का ज़िक्र किया जाता है (खास कर चुनाव के दौरान) जो निरर्थक, अनुचित एवं आधारहीन होते हैं I निःसंदेह ऐसे कथन असंसदीय भाषा, अप्रासंगिक तथ्यों और बयानों की पराकाष्ठा है I अन्य जन-प्रतिनिधियों की बात क्या की जाए, जब देश के प्रधान ही अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं रख रहे I
किसी राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह को, देश में दहशतगर्दों द्वारा की गई गतिविधियों से अनावश्यक रूप से संबद्ध कर देना किस नज़रिए से सही कहा जा सकता है I
सभी जानते हैं कि चुनाव चिन्ह तय करके उसे किसी राजनीतिक दल को देना यह विशिष्ट रूप से चुनाव आयोग का दायित्व होता है, तो फिर किसी दल पर उसके चिन्ह को लेकर कटाक्ष करना कहाँ तक उचित है ?
क्या शिक्षित, प्रतिष्ठित एवं माननीय को ये नहीं पता है कि साइकिल हमारे दैनिक जीवन में कितनी उपयोगी है ?
नवंबर 1963 में, भारत द्वारा प्रथम रॉकेट को प्रक्षेपण स्थल तक ले जाने के लिए साइकिल का ही प्रयोग किया गया था I
दुर्भाग्यवश जो लोग साइकिल को सिर्फ आतंकी घटनाओं में इस्तेमाल हुई एक चीज़ के रूप में देखते और याद रखते हैं, उनका ध्यान इसकी और भी कई उपयोगिता की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ I
.................
साइकिल पर छात्र छात्राएं विद्यालय जाते
साइकिल पर फेरी वाले रोजी रोटी कमाते
साइकिल पर डब्बे वाले भोजन पहुँचाते
साइकिल पर कई सज्जन कार्यालय जाते
साइकिल चलाना खेल-श्रेणी में भी आते
साइकिल पर सर्कस में करतब दिखलाते
साइकिल पर्यावरण अनुकूल वाहन कहलाते
साइकिल से घर घर डाकिये पत्र पहुँचाते
साइकिल चला कर लोग स्वास्थ्य लाभ भी पाते
- अभिषेक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments