Share0 Bookmarks 48978 Reads0 Likes
बेताब हो जाएँ जब
काग़ज़ों पे उतरने के लिए
ख़ुद-ब-ख़ुद अल्फ़ाज़
क़लम का नहीं क़ुसूर
छा जाए ज़ेहन में जब
कुछ लिखने का जुनून
निःसंदेह फिर तो
लिखना चाहिए ज़रूर
हुए ऐसे ऐसे लिखने के दीवाने
लिख गए प्रेम के कई अफ़्साने,
सदाबहार यादगार मधुर गाने,
साहित्यिक गौहरों के ख़ज़ाने I
क़लम की जादूगरी दिखा गए,
हर विधा के धुरंधर जाने माने II
क्या क्या नहीं कर सकती है !
छोटी सी एक बेबाक क़लम I
सोई सरकारों को जगा देती है
<Send Gift
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments