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कुछ बेटियों को आगे बढ़ने का मौक़ा
कुछ के नसीब में बस बर्तन चौका
किसी को ख़ुशियों की छत मिली
किसी को ग़म के आँगन में फेंका
कोई जी भर हँसे, ठहाके लगाए
किसी को मुस्कुराने पर भी टोका
किसी पे किया भरोसा खुल कर
किसी को शक़ की नज़रों से देखा
कोई घूमे सखी सहेलियों के संग
किसी को चौखट दहलीज़ पे रोका
होते हैं ऐसे भी बुरे कुछ माँ-बाप, जो
करते हैं बच्चों से भेदभाव और धोखा
- अभिषेक
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