Share0 Bookmarks 30898 Reads0 Likes
बिसात-ए-हयात पर मैंने
लगाया दाँव-ए-जज़्बात
ख़ुद-ग़र्ज़ सारे आते गए
हर बाज़ी मुझ को हराते गए
हार कर जब मैं उठा
मेरे अक्स ने मुझ से कहा
झूठ नहीं बोलूँगा तुझ से
Send Gift
No posts
No posts
No posts
No posts
बिसात-ए-हयात पर मैंने
लगाया दाँव-ए-जज़्बात
ख़ुद-ग़र्ज़ सारे आते गए
हर बाज़ी मुझ को हराते गए
हार कर जब मैं उठा
मेरे अक्स ने मुझ से कहा
झूठ नहीं बोलूँगा तुझ से
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments