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न क़ाबिल-ए-माफ़ी है
ऐ काल, तेरी ये ख़ता
ले गया तू साथ क्यूँ अपने
हम सबकी प्यारी
भारत रत्न, स्वर कोकिला
सुर की देवी "लता"
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कल, एक सरस्वती की आरती गाई
आज, एक सरस्वती की अश्रुपूर्ण विदाई
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कण-कण है आज ग़मज़दा
सदियों में जलती है ऐसी चिता
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ख़ामोश हो
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