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फैला दो जहाँ में
प्रेम का ऐसा संदेश
मिट जाए इक-दूजे से
नफ़रत और द्वेष
बसा लो दिलों में
बे-इंतिहा उल्फ़त
फ़ज़ा की सबा में
हो चाहत ही चाहत
जला दो इतनी
भाईचारे की शमा'
कि सद
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