
Share0 Bookmarks 159 Reads0 Likes
मत घबरा तू,
ऐ मेरे दिल
चाहे हों जैसे,
हालातों के घाव I
बाक़ी है फ़क़त जीतना अब,
ज़ख़्मों के चंद ही दाव II
फिर ना तुझको
ठेस लगेेगी,
होगा ना मनमुटाव I
एहसास करेगा
जिस लम्हा,
साँसों से अलगाव II
मत डगमगा,
अंतर्मन का सफ़ीना
चाहे हो जैसा,
वक़्त की मौजों में उतार-चढ़ाव I
चलता चल तू,
है जिस जानिब
जीवन दरिया का बहाव II
क्या हुआ गर,
ताउम्र रहा
सुकून का अभाव I
शाद हो जा,
कि होने को है
चिर-निद्रा से लगाव II
- अभिषेक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments