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मत घबरा तू,
ऐ मेरे दिल
चाहे हों जैसे,
हालातों के घाव I
बाक़ी है फ़क़त जीतना अब,
ज़ख़्मों के चंद ही दाव II
फिर ना तुझको
ठेस लगेेगी,
होगा ना मनमुटाव I
एहसास करेगा
जिस लम्हा,
साँसों से अलगाव II
मत डगमगा,
अंतर्मन क
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